Asteroid Hit Earth: धरती के लिए एस्टेरॉयड को हमेशा ही गंभीर खतरे के रूप में देखा जाता रहा है। अगर पृथ्वी से एस्टेरॉयड टकरा जाए तो तबाही मच जाएगी। कहा जाता है कि एक बार लाखों साल पहले एस्टेरॉयड ऐसे ही धरती से टकराया था जिसके बाद डायनासोर का पृथ्वी से वजूद ही खत्म हो गया था। वैज्ञानिकों ने कई बार इस तरह की आशंकाएं तो जताई हैं लेकिन यह कभी सच साबित नहीं हुईं। अब वैज्ञानिकों ने एक एस्टेरॉयड को लेकर जिस तरह की बातें कही हैं वो बेहद चौंकाने वाली हैं।
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वैज्ञानिकों ने किया है विश्लेषण
वैज्ञानिकों ने एस्टेरॉयड 2023 DW का गहन विश्लेषण किया है। यह एस्टेरॉयड अंतरिक्ष में तैरती हुए एक विशाल चट्टान है जिसे City Killer का नाम दिया गया है। यह एस्टेरॉयड 2032 में पृथ्वी को प्रभावित कर सकता है। इस बीच यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के खगोलविदों ने कई संभावित क्षेत्रों की पहचान की है जहां यह एस्टेरॉयड धरती से टकरा सकता है। इसमें सबसे अधिक संभावना वाला क्षेत्र दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित है। यह क्षेत्र न्यूजीलैंड से लगभग 1,500 किलोमीटर पूर्व में है। यदि एस्टेरॉयड इस क्षेत्र से टकराता है, तो यह प्रशांत बेसिन में भयावह सुनामी आ सकती है।
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एस्टेरॉयड जमीन से टकराया तो क्या होगा?
दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र के अलावा एस्टेरॉयड 2023 DW के धरती पर जहां सबसे अधिक टकराने की संभावना है वह हिंद महासागर के कुछ हिस्से और मध्य एशिया के दूरदराज के क्षेत्र शामिल हैं, हालांकि इनकी संभावना काफी कम है। नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के वैज्ञानिकों ने गणना की है कि समुद्र के टकराने से अरबों टन पानी में हलचल मच जाएगी जिससे तटीय क्षेत्रों के पास 10-15 मीटर ऊंची सुनामी लहरें पैदा हो सकती हैं। एस्टेरॉयड के जमीन से टकराने पर लगभग 2-3 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा बन सकता है और 30 किलोमीटर के दायरे में सबकुछ समतल हो सकता है।
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एस्टेरॉयड 2023 DW को किसने खोजा?
एस्टेरॉयड 2023 DW को पहली बार फरवरी 2023 में चीन में पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी में खगोलविदों द्वारा खोजा गया था। शुरू में इसे नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। लगभग 160 मीटर (525 फीट) के अनुमानित व्यास के साथ यह एस्टेरॉयड ‘संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों’ की श्रेणी में आता है जिसके विनाशकारी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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पहले वैज्ञानिकों ने माना सामान्य घटना
एस्टेरॉयड 2023 DW को पहली बार जब खोजा गया तो इसे बेहद सामान्य तरीके से ही देखा है। वैज्ञानिकों ने इसे टोरिनो स्केल रेटिंग 1 दी, जो दर्शाता है कि “एक नियमित खोज जिसमें एस्टेरॉयड पृथ्वी के पास से गुजरेगा, किसी असामान्य स्तर का खतरा पैदा नहीं है।” हालांकि, जैसे-जैसे अधिक डेटा उपलब्ध हुआ, जोखिम की बात भी सामने आने लगी। मौजूदा समय में या टोरिनो स्केल रेटिंग 2 पर है। इसका मतलब यह है कि इसपर नजर रखने की जरूरत है।
IAWN के जरिए हो रही है ट्रैकिंग
अंतर्राष्ट्रीय एस्टेरॉयड चेतावनी नेटवर्क (IAWN) के जरिए इसकी ट्रैकिंग की जा रही है। IAWN दुनिया भर में कई दूरबीनों से मिले आकड़ों का विश्लेषण करता है। आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि यह एस्टेरॉयड 25 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से यात्रा कर रहा है और अभी यह धरती से 1 करोड़ 80 लाख किमी की दूरी पर है। यह 271 दिन में सूरज के चक्कर लगा रहा है। हालांकि, नासा के मुताबिक इसके धरती से टकराने की संभावना ‘बहुत कम’ है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक 625 में से 1 का चांस है कि यह एस्टेरॉयड धरती से टकरा सकता है। चांद से इसके टकराने की संभावना 1.7 फीसदी है।
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