नई दिल्ली : पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के तीन दिन बाद, उनके सचिवालय को बंद कर दिया गया और उनके साथ काम करने वाले कई सरकारी अधिकारियों को उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया गया। हिंदुस्तान टाइम्स को दो अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उपराष्ट्रपति भवन के किसी भी कमरे को सील नहीं किया गया है। नवनिर्मित उपराष्ट्रपति भवन में सचिवालय के लिए एक अलग विंग है, जहां से एक-एक करके अधिकारी चले गए और इसे बंद कर दिया गया है।
उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में अब केवल कुछ ही सरकारी अधिकारी मौजूद हैं और वे भी अपने मूल कैडर में लौटने के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि, “यहां अब मुश्किल से कुछ ही अधिकारी हैं, बाकी सभी जा चुके हैं। सचिवालय के अलग बने विंग को एक-एक करके खाली किया गया और अब वह लॉक कर दिया गया है। चाबियां दो अवर सचिवों को सौंप दी गई हैं।”
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यह सामान्य प्रक्रिया है…
धनखड़ के सचिव, विशेष कार्याधिकारी और प्रमुख निजी सचिव- तीनों आईएएस अधिकारी थे। उन्होंने भी अपना कार्यभार छोड़ दिया है। एक सरकारी सूत्र ने बताया, “यह सामान्य प्रक्रिया है, क्योंकि इन अधिकारियों की नियुक्ति उपराष्ट्रपति के कार्यकाल से जुड़ी होती है। आमतौर पर इन्हें 15 दिन का समय दिया जाता है ताकि वे अपना काम समेट सकें और अपने कैडर में वापस लौट सकें। कुछ अधिकारी अभी भी वहां मौजूद हैं, लेकिन वे भी जल्द ही चले जाएंगे।”
74 वर्षीय धनखड़ ने सोमवार शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपते हुए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। उन्होंने लिखा था, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।” धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को उप-राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और वे एम. वेंकैया नायडू के उत्तराधिकारी बने थे।
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इस्तीफे के बाद ही उन्होंने पैकिंग शुरू
धनखड़ को अब एक टाइप VIII बंगला (या समकक्ष आवास) और पांच निजी स्टाफ की सुविधा मिलेगी, जिनका वेतन सरकारी खजाने से दिया जाएगा। धनखड़ नवनिर्मित उपराष्ट्रपति भवन के पहले निवासी थे। अब उनको अपना सामान समेटने और भवन खाली करने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। हालांकि इस्तीफे के बाद ही उन्होंने पैकिंग शुरू कर दी है।
हालांकि अधिकारियों का अपने मूल कैडर में लौटना एक नियमित प्रक्रिया है, लेकिन जिस तेजी से सचिवालय बंद किया गया और अधिकारियों ने एन्क्लेव छोड़ा, उसने इन अटकलों को और बल दिया है कि धनखड़ और सरकार के बीच रिश्ते तनावपूर्ण होते जा रहे थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में राज्यसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने को लेकर सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच मतभेद उभर कर आए थे। सरकार इस मुद्दे को लोकसभा में लाना चाहती थी, लेकिन धनखड़ ने इसे राज्यसभा में स्वीकार कर लिया।
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इस्तीफे के बाद कहां हैं जगदीप धनखड़, किसी से नहीं मिल रहे; खरगे भी लाइन में
तीन वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, इस्तीफे के बाद से धनखड़ ने उन राजनीतिक नेताओं से भी मुलाकात नहीं की है जो उनसे मिलने की कोशिश कर रहे थे। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, और आम आदमी पार्टी के कुछ नेता उनसे मिलने के इच्छुक थे, लेकिन उन्हें कोई समय नहीं दिया गया। धनखड़ की अचानक विदाई ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि उप-राष्ट्रपति सचिवालय और एन्क्लेव में हुई तेज प्रशासनिक गतिविधियों ने भी इस घटनाक्रम को रहस्यमय बना दिया है।