नई दिल्ली : भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सेना की क्षमता को और मजबूती देने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाते हुए 1,981.90 करोड़ रुपये के 13 रक्षा समझौते किए हैं। ये सौदे ‘आपातकालीन खरीद तंत्र’ के तहत किए गए हैं ताकि सीमापार आतंकवाद से निपटने के लिए सेना की तैयारियों को मजबूत किया जा सके।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह खरीद प्रक्रिया तेज गति से पूरी की गई ताकि त्वरित क्षमता विकास सुनिश्चित किया जा सके। इन समझौतों के तहत भारतीय सेना को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण और तकनीक मुहैया कराई जा रही है, जिससे सैनिकों की सजगता, मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
क्या-क्या खरीदा जा रहा है?
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि आपातकालीन खरीद तंत्र के अंतर्गत सेना के लिए इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम (आईडीडीआईएस), लो लेवल लाइटवेट रडार (एलएलएलआर), बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस), लॉन्चर और मिसाइल, रिमोटली पायलटेड एरियल व्हीकल (आरपीएवी), वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल), सिस्टम सहित लोइटरिंग म्यूनिशन, विभिन्न श्रेणियों के ड्रोन, बुलेट प्रूफ जैकेट (बीपीजे), बैलिस्टिक हेलमेट, क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (क्यूआरएफवी), भारी और मध्यम और राइफलों के लिए नाइट साइट्स जैसे हथियार और उपकरण खरीदे जाएंगे।
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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब केंद्र सरकार ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर में सेना की ऑपरेशनल तैयारी को शीर्ष प्राथमिकता दी है। उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
तेजी से पूरी हुई खरीद प्रक्रिया
मंत्रालय ने बताया कि ये सभी सौदे तेज प्रक्रिया के तहत पूरे किए गए हैं ताकि तैनात सैनिकों को कम से कम समय में जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जा सकें। कुल 2,000 करोड़ रुपये के बजट में से 1,981.90 करोड़ रुपये की खरीद पहले ही पूरी कर ली गई है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, “आतंकवाद-रोधी अभियानों में सेना की ऑपरेशनल तैयारी को सशक्त बनाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इन आपातकालीन खरीदों से भारतीय सेना की क्षमता में तेज और प्रभावी इजाफा होगा।”
स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इन समझौतों में स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को प्रोत्साहन देने पर विशेष जोर दिया गया है। उदाहरण के लिए, भारतीय सेना ने सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) के साथ 450 नगस्त्र-1R लॉइटरिंग म्यूनिशन्स की खरीद के लिए एक आदेश दिया है। यह प्रणाली पूरी तरह से पुन: उपयोग योग्य लॉन्चर सिस्टम के साथ लागत प्रभावी है और इसमें 360 डिग्री गिम्बल कैमरा, रात के ऑपरेशनों के लिए थर्मल कैमरा, और उच्च सटीकता वाला लक्ष्यीकरण सिस्टम शामिल है। इस प्रणाली में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री है और इसे लद्दाख और उत्तर प्रदेश के बबीन के पास झांसी में परीक्षण किया गया है।