घर पर कैश जलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने बचाव में पुलिस की चूक का सहारा लिया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सवाल उठाते हुए पूछा कि पुलिस ने कैश क्यों जब्त नहीं किया? पंचनामा तैयार क्यों नहीं किया गया? इस मामले में कुछ अफसरों द्वारा ली गई कुछ तस्वीरें और वीडियो ही आगे की घटनाओं का आधार बनीं. दरअसल, जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जांच पैनल रिपोर्ट को चुनौती दी है. उन्होंने मांग की है कि तीन जजों की आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार दिया जाए. दरअसल उन्होंने इसके लिए अपनी याचिका में कई आधार दिए हैं.
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मामला क्या है
दरअसल, आंतरिक जांच पैनल ने जस्टिस वर्मा पर अगली सुबह तक जले, अधजले और बचे हुए नोटों को हटाने के लिए सबूत नष्ट करने का भी आरोप लगाया था, लेकिन जस्टिस वर्मा की याचिका के अनुसार, उन्होंने अपने बचाव में पुलिस द्वारा अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज करने (जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR के लिए CJI की अनुमति आवश्यक थी) और नकदी जब्त करने में विफलता का हवाला दिया है.
जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका
पैनल द्वारा इस बारे में पूछे जाने पर, पुलिस अधिकारियों ने “मामले की संवेदनशीलता” और घटना के समय जस्टिस वर्मा के अपने आवास पर न होने का हवाला देते हुए ‘अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR’ दर्ज करने से इनकार करने का स्पष्टीकरण मांगा था. याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा है, “ऐसा प्रतीत होता है कि आग बुझाने/पहुंचने के दौरान, दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) और दिल्ली पुलिस (पुलिस) के अधिकारियों को आउटहाउस में जले हुए नोट/नकदी की मौजूदगी का पता चला. उन्होंने कथित नकदी को जब्त नहीं किया, न ही पंचनामा तैयार किया, या कानून के तहत ज्ञात किसी भी तरीके से अपनी खोज को दर्ज नहीं किया. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ तस्वीरें/वीडियो इनमें से कुछ अधिकारियों द्वारा निजी तौर पर लिए गए थे और ये आगे की घटनाओं का आधार बना.”