विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर चुनाव आयोग ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान बिहार में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया पर उठाए गए सवालों और ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर जवाब दिए गए गए। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हमारे लिए ना कोई पक्ष है, ना ही विपक्ष, बल्कि सभी समकक्ष हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो, बेटी हो, के सीसीटीवी वीडियो साझा करने चाहिए? जिनके नाम मतदाता सूची में हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।”
#WATCH | Delhi: Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar says, "We saw a few days ago that photos of many voters were presented to the media without their permission. Allegations were made against them, they were used. Should the Election Commission share the CCTV videos of any… pic.twitter.com/WcOIBTSBMS
— ANI (@ANI) August 17, 2025
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“यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है?”
उन्होंने कहा, “कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता की ओर से अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिन के भीतर हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह करने का असफल कोशिश की जाए, तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है?” उन्होंने आगे कहा कि वोटर्स के फोटो, नाम और पहचान सार्वजनिक रूप से दिखाए गए हैं, जो उनकी निजता का उल्लंघन है।
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राहुल गांधी को EC का सख्त संदेश- तीसरा विकल्प नहीं
राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने सख्त संदेश दिया है कि 7 दिनों में हलफनामा नहीं दिया तो माना जाएगा ये आरोप झूठे हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी या तो हलफनामा दें या माफी मांगें, तीसरा कोई विकल्प नहीं है।
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पोलिंग बूथ के सीसीटीवी को लेकर राहुल का आरोप
दरअसल, राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए सवाल किया था कि पोलिंग बूथ के सीसीटीवी और वीडियो सबूत मिटाए जा रहे हैं। उन्होंने पूछा, “विपक्ष को डिजिटल मतदाता सूची क्यों नहीं मिल रही? सीसीटीवी और वीडियो सबूत मिटाए जा रहे हैं, ऐसा क्यों और किसके कहने पर हो रहा है? फर्जी मतदान और मतदाता सूची में गड़बड़ी क्यों की गई? विपक्षी नेताओं को क्यों डराया, धमकाया जा रहा है? साफ-साफ बताओ कि क्या चुनाव आयोग अब भाजपा का एजेंट बन चुका है?”
इससे पहले राहुल गांधी के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने कहा था, “एक लाख पोलिंग बूथ के सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा यानी देखने में एक लाख दिन यानी 273 साल लगेगा, जिसका कोई कानूनी परिणाम संभव नहीं। कोई भी उम्मीदवार अगर चुनाव के खिलाफ याचिका दाखिल करता है, तो सीसीटीवी फुटेज रखी जाती है, नहीं तो उसे रखने का कोई मतलब नहीं है।”