*क्या अपने कैबिनेट मंत्रियों पर नहीं है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का नियंत्रण?

*विजय शाह मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्‍त टिप्‍पणी, गटरछाप बयानबाजी पर कैसी माफी

*प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह सहित राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा की चुप्पी किस बात की ओर संकेत देती है?

भोपाल: क्‍या हैं हंसते-हंसते तीन बार माफी मांगने के मायने? क्या बीजेपी मंत्री को बचा रही है? क्या मप्र पुलिस किसी मंत्री को कानून से ऊपर मानती है? क्‍या सिर्फ FIR होगी, गिरफ्तारी नहीं? क्‍या सत्‍ता के आगे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की टिप्‍पणी मायने नहीं रखती? ये कुछ ऐसे दागते सवाल हैं जिनके जवाब आज पूरा देश मांगने चाहता है। सिर्फ जवाब नहीं गटरछाप बोल बोलने वाले मध्‍यप्रदेश के मंत्री विजय शाह पर सख्‍त कार्यवाही करने की मांग भी कर रहा है। क्‍योंकि जिस तरह विजय शाह ने देश की बेटी और सेना की वरिष्ठ अफसर कर्नल सौफिया कुरैशी पर अभद्र टिप्पणी की है उससे पूरा देश गुस्‍से में है। लेकिन सत्‍ता और संगठन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। बीजेपी और संगठन इतने दिनों बाद भी चुप है। हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मंत्री के खिलाफ बीएनएस की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के अंतर्गत तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए थे। ये गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सख्‍त टिप्‍पणी की।

जगदीश देवड़ा ने भी नहीं लिया विजय शाह से सबक

मध्यप्रदेश भाजपा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कैबिनेट मंत्री विजय शाह के बड़बोले और अभद्र बयानबाजी का मामला भी शांत भी नहीं हुआ था कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के एक बिगड़ेल बोल ने प्रदेश सरकार और भाजपा की मिट्टी पलीत कर दी है। प्रदेश के वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा भी विजय शाह की तरह बड़बोले बयान देने वाले नेता बन गये। वित्तमंत्री जैसा गंभीर मंत्रालय के मुखिया होने के बाद भी देवड़ा ने जिस ढंग से बयान दिया और भारतीय सेना की शूरवीरता को तार-तार करने का जो कार्य किया है वह सच में भारतीय सेना और भारतीय समाज के लिए शर्मसार कर देने वाला है। दोनों ही नेताओं को बेशर्मी देखिए पहले उलूल-जुलूल बयान दीजिए और उसके बाद माफी मांगते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दीजिए। अगर इसी तरह से बयानबाजियों का दौर चलता रहा तो निश्चित ही बीजेपी और थर्ड क्लास पार्टी के मूल्यों में कोई अंतर नहीं रह जायेगा।

सवाल बीजेपी चाल, चरित्र और चेहरे पर उठ रहे

खुद को सशक्त देशभक्ति पार्टी के रूप में देश में झंडे बुलंद करने वाली भारतीय जनता पार्टी के जिम्मेदार नेताओं के बेतुके बयानों से न सिर्फ प्रदेश भाजपा बल्कि राष्ट्रीय स्तर के नेता और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी स्वयं भी परेशान हैं।

विजय शाह पर अभी तक कोई कार्रवाई होती दिखाई नहीं दी

विजय शाह के बयान से न सिर्फ पूरे देश में गुस्सा है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर मप्र हाईकोर्ट के न्यायाधीश तक खुद नाराज हैं। यही कारण है कि शाह पर एफआईआर दर्ज करने से लेकर उन्हें बर्खास्त करने तक की कार्यवाही के निर्देश कोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और संगठन को दिये। कुल मिलाकर विजय शाह का खौफ भाजपा नेताओं में ऐसा है कि कोई नेता उनसे इस विषय पर बात नहीं कर रहा है।

आखिर ऐसा कैसा भय है शाह का

देखा जाये तो भाजपा द्वारा विजय शाह पर कार्रवाई न करना इस बात के संकेत देता है कि कहीं न कहीं भाजपा वोटों की राजनीति के कारण मजबूर है। यही कारण है कि मजबूरीवश भाजपा ने विजय शाह पर कार्रवाई का एक्शन नहीं लिया। सूत्रों के अनुसार पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय शाह के पास गये और उन्हें कुछ समय तक के लिए इस्तीफा देने की बात कही। लेकिन शाह ने तेजतर्रार तेवर में स्पष्ट कहा कि वे किसी भी रूप में मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। अगर उनसे जबरदस्ती इस्तीफा दिलवाया गया तो वे एक जनजातीय पार्टी का गठन कर लेंगे। अपनी सत्ता खोने के भय से मजबूर भाजपा ने इस पूरे मामले पर अनदेखी का रूख अपना लिया।

मोदी और शाह ने क्यों साधी चुप्पी?

आश्चर्य करने वाली बात यह है कि देश की बेटी कर्नल सौफिया कुरैशी पर दोनों ही प्रदेश के नेताओं द्वारा दिये गये बयान पर अब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कोई बयान नहीं आया है। तीनों की चुप्पी इस बात की ओर इशारा तो नहीं करती कि इससे आने वाले समय में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर कोई बड़ा संकट आ जाये। क्योंकि मंत्रियों के बड़बोलेपन से जुड़े बयान देने पर यह कहीं न कहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का अपने मंत्रियों के ऊपर अनियंत्रण के संकेत देता है।

क्‍या हैं इन धाराओं का मतलब?

धारा 196(1)(b) भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अंतर्गत एक प्रावधान है जो धर्म, जाति, भाषा या अन्य आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने वाले कृत्यों से संबंधित है। यह धारा सार्वजनिक शांति और सद्भाव को बनाए रखने के लिए बनाई गई है। इस धारा के तहत दंडित होने पर, व्यक्ति को तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। धारा 152, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों से संबंधित है। यह अलगाव, सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसकारी गतिविधियों को भड़काने या बढ़ावा देने वाले किसी भी कार्य को अपराध मानता है। इस धारा के तहत अपराध करने पर आजीवन कारावास या सात वर्ष तक का कारावास और जुर्माना भी हो सकता है। धारा 197(1)(सी) राष्ट्रीय एकता को खतरे में डालने वाले कार्यों से संबंधित है। यह धारा उन लोगों को दंडित करती है जो किसी विशेष वर्ग के लोगों के बीच वैमनस्य या नफरत पैदा करने के लिए अपील या सलाह देते हैं, जिससे राष्ट्रीय एकता को खतरा होता है। इसमें भी सख्‍त सजा का प्रावधान है।

*विजया पाठक की रिपोर्ट*

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