नई दिल्ली : पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राज्य सभा सांसदों के साथ उनकी नोंक-झोंक के चर्चा हमेशा से ही सुर्खियां बटोरती रही है। अब, जबकि वह अपना पद छोड़ चुके हैं, तो उनके बारे में कई बातें कहीं जा रही हैं। इसी सिलसिले में शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से जब पूछा गया कि क्या महिला सांसदों के साथ पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ का व्यवहार अभद्र था? इस पर प्रियंका ने जवाब देते हुए कहा कि नहीं, ऐसा नहीं था।
एएनआई से बात करते हुए प्रियंका ने कहा, “नहीं, वह ऐसे बिल्कुल भी नहीं थे, अगर आप देखें तो महिलाओं को आगे बढ़ाने के मामले में वह बहुत ही ज्यादा ध्यान देते थे। महिला सांसदों को ज्यादा से ज्यादा सभा पति की कुर्सी पर बैठाकर अनुभव लेने का फैसला उन्हीं ने शुरु किया था, जो कि एक प्रकार से 50 फीसदी आरक्षण जैसा ही है… वह हमेशा हम लोगों से कहते रहते थे कि मेरी भी एक बेटी है, इसलिए मैं समझ सकता हूं कि महिलाओं को आगे बढ़ने की, संसद का काम संभालने की जरूरत क्यों है।”
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वैंकेया नायडू से तुलना
उद्धव गुट की सांसद ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “ऐसा नहीं था, लेकिन मेरे लिए या हम लोगों के लिए जो परेशानी वाली बात थी, वह यह थी कि… जैसे वैंकेया नायडू जी जब उपराष्ट्रपति पद पर थे। अगर उन्हें किसी का भाषण पसंद आता था या अगर वह मुद्दे की बात कर रहा है तो वह उसे ज्यादा समय भी दे देते थे, लेकिन इनके मामले में ऐसा था कि आपको अगर तीन मिनट मिलें, उसमें ही उनकी तरफ से बार-बार रोका जाता था। इसके बाद हमारी बाकी मुद्दों को लेकर भी खींचतान हुई, जब उनसे सवाल पूछते थे तो वह कहते थे कि चेंबर में आकर बात कीजिए, मुझे लगता था कि अगर सदन की बात है तो सदन में ही होनी चाहिए। इसलिए थोड़ी परेशानी थी।
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सपा सांसद जया बच्चन के साथ खींचतान
प्रियंका ने कहा, “जया जी के साथ भी उनकी खींचतान अलग थी। उनका तर्क था कि उनका हाउस में नाम जया अमिताभ बच्चन के तौर पर दर्ज है। इसलिए वह ऐसा बोलते हैं, लेकिन जब मैंने उनसे कहा कि मेरा नाम भी प्रियंका विक्रम चतुर्वेदी के तौर पर दर्ज है, तो फिर आप मेरा नाम क्यों केवल प्रियंका चतुर्वेदी ही बोलते हैं… इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि ठीक है मैं आपको भी पूरे नाम से ही बुलाऊंगा। हालांकि उन्होंने ऐसा किया नहीं।”