*चरणदास महंत या टीएस सिंहदेव को सौंप देनी चाहिए प्रदेश की कमान
*काबिल और अनुभवी राजनेताओं की अनदेखी कर बघेल को सर्वेसर्वा बनाना, पार्टी लाइन के खिलाफ
*छत्तीसगढ़ में एक लोकसभा सीट केवल ज्योत्सना महंत को*
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अस्तित्व संकट में नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बोये गये भ्रष्टाचार के बीज का परिणाम पार्टी को पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। बावजूद उसके कांग्रेस आलाकमान के कान में जूं तक नहीं रेंगी और उन्होंने अभी भी प्रदेश की कमान भ्रष्टाचारी और अनाचारी भूपेश बघेल को सौंप रखी है। बघेल ने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान एक ऐसी चंडाल चौक़ड़ी का निर्माण किया था जिसने शासन की योजनाओं में घोटाले करने से लेकर जनता के पेट को दी जाने वाली रोटी में भी भ्रष्टाचार करने का निर्णय लिया। यही कारण है कि जनता बघेल के इस कुशासन से पूरी तरह परेशान हुई और उन्होंने राज्य में सत्ता परिवर्तन का निर्णय लिया और पांच साल बाद भाजपा को सत्ता में काबिज होने का मौका मिला।
आयकर की जांच में हुआ खुलासा
बघेल पर हुई आयकर विभाग की कार्यवाही में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। इसमें यह भी बताया जा रहा है कि बघेल के पास से प्राप्त डायरी में विदेशों में जमा कालाधन का ब्यौरा है। ऐसे में गले तक भ्रष्टाचार में फंसे भूपेश बघेल के ऊपर कांग्रेस आलाकमान विश्वास रखते हुए उन्हें आगे की कमान सौंपने पर विचार कर रही है। लेकिन यह आलाकमान की बड़ी भूल साबित होगी। क्योंकि आज भूपेश बघेल की लोकप्रियता बिल्कुल निम्न स्तर पर है।
आज भी पार्टी में मौजूद है कई काबिल नेता
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार प्रदेश में आज भी ऐसे कई नेता मौजूद हैं जिनको आलाकमान जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को दूर कर सकती है। लेकिन बघेल के मोह की पट्टी आलाकमान की आंख में ऐसी बंधी है कि उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार पार्टी आलाकमान को बघेल से जिम्मेदारी वापस लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत को दी जा सकती है। क्योंकि यही वह नेता हैं जिन्हें कार्य करने का अनुभव भी है और बघेल से बिल्कुल अलग हटकर पार्टी लाइन पर काम करने का दमखम भी रखते हैं। इस विषय पर एक बार फिर पार्टी आलाकमान को विचार करने की आवश्यकता है।
महंत और सिंहदेव के पास है जनाधार
जानकारों के अनुसार टीएस सिंह देव और चरणदास महंत वे नेता हैं जिनके पास जनता का पर्याप्त जनाधार हैं। दोनों ही नेता सभी पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों को साथ लेकर चलने का माद्दा रखते हैं। इसका सबसे बड़ा परिणाम है कि सिंहदेव ने उप मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों द्वारा किये जा रहे बघेल के विद्रोह को स्वतः आगे आकर संभाला और पार्टी की छवि को धूमिल होने से बचाया था। चरणदास महंत भी बेहद लोकप्रिय नेता हैं। यही कारण कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास अगर कोई लोकसभा सीट आई तो वह उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत की सीट थी। क्योंकि इस सीट पर न सिर्फ ज्योत्सना ने बल्कि चरणदास महंत ने भी जमीनी स्तर पर लोगों से संपर्क साधा और जनाधार पाने में सफलता प्राप्त की।
अब नहीं संभले तो कभी नहीं संभल पायेंगे
स्थानीय कार्यकर्ता और नेताओं का कहना है कि हम सभी ने भूपेश बघेल के हिटलरशाही रवैये को बहुत करीब से देखा है। ऐसे में कोई भी कार्यकर्ता अब उनके नेतृत्व में कार्य करने को इच्छुक नहीं है। हर कार्यकर्ता और पार्टी नेता अपने अपने स्तर से पार्टी आलाकमान तक बघेल के कारनामों का पुल्लिंदा पहुंचा चुके हैं। ऐसे में अब वह समय आ गया है जब पार्टी आलाकमान को बघेल पर कोई कड़ा एक्शन लेकर किसी जिम्मेदार व्यक्ति को छत्तीसगढ में पार्टी की कमान सौंपनी चाहिए। इससे पार्टी का कल, आज और कल में अवश्य सुधार आने की अपेक्षा है। क्योंकि अगर अब नहीं संभले तो कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में दोबारा कभी नहीं संभल पाएगी।
महंत और सिंहदेव जैसे अनुभवी नेताओं को मिली कमान तो छत्तीसगढ में वापस आ सकती है कांग्रेस
आज छतीसगढ़ कांग्रेस को अनुभवी और जनाधार वाले नेताओं की जरूरत है। चरणदास महंत और टीएस सिंहदेव जैसे अनुभवी और कर्मठ नेता यदि आज भी प्रदेश की कमान संभालते हैं तो निश्चित रूप से प्रदेश में कांग्रेस वापसी कर सकती है। क्योंकि आज भी प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार है। यदि इनको कमान सौंपी जाती है तो प्रदेश में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ शासन में आ सकती है। केवल अयोग्य नीति निर्धारक के कारण कांग्रेस वहां पर पैर नहीं जमा पा रही है। भूपेश बघेल ने जिस तरह से भ्रष्टाचार और अत्याचार किया हैं उसका ही परिणाम है कि वह सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन कहते है कि समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। पार्टी हाईकमान आज भी चाहे तो राज्य के नीति निर्धारक को बदलकर कांग्रेस को पुन:0Pल7 प्रदेश में काबिज कर सकते है। हम जानते हैं कि प्रदेश में ऐसे कई नेता आज भी मौजूद हैं जिनका काफी मजबूत है।
*विजया पाठक की रिपोर्ट*
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