नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर सिंधु जल संधि पर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज एक प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि भारत इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय की वैधता, औचित्य या क्षमता को कभी स्वीकार नहीं करता। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले का कोई अधिकारिक आधार नहीं है और यह भारत के जल इस्तेमाल के अधिकारों पर कोई असर नहीं डालता।

जायसवाल ने यह भी कहा कि इस तथाकथित “फैसले” से संबंधित पाकिस्तान के चुनिंदा और भ्रामक संदर्भों को भारत पूरी तरह से अस्वीकार करता है। उन्होंने 27 जून को जारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए दोहराया कि भारत सरकार ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद, विशेष रूप से पहलगाम हमले की बर्बरता के जवाब में, सिंधु जल संधि को रद्द करने का संप्रभु निर्णय लिया है।

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सिंधु जल संधि और विवाद

सिंधु जल संधि को 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में साइन किया गया था। यह संधि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज के जल के उपयोग को नियंत्रित करती है। संधि के अनुसार, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, और चिनाब) का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित किया गया था, जबकि पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, और सतलुज) का उपयोग भारत के लिए था।

हालांकि, हाल के वर्षों में, जम्मू-कश्मीर में भारत द्वारा बनाए गए रन-ऑफ-रिवर परियोजनाओं, जैसे कि किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं, को लेकर पाकिस्तान ने आपत्तियां जताईं। पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं को संधि के उल्लंघन के रूप में देखते हुए मध्यस्थता न्यायालय में शिकायत दर्ज की थी। मध्यस्थता न्यायालय ने अपने हालिया फैसले में भारत से संधि का पालन करने और पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।

भारत का कड़ा रुख

भारत ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मध्यस्थता न्यायालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारत ने हमेशा संधि के प्रावधानों का पालन किया है, लेकिन पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को लगातार समर्थन देने के कारण भारत ने संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया है। जायसवाल ने कहा, “पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन और हाल ही में पहलगाम में हुआ क्रूर हमला भारत के संप्रभु निर्णय को मजबूत करता है। हम इस संधि को बहाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं।”

पाकिस्तान ने भारत के इस निर्णय की आलोचना की है और इसे संधि का उल्लंघन बताया है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि वह विश्व बैंक या किसी अन्य तीसरे पक्ष के दबाव में नहीं आएगा। विदेश मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि भारत अपनी जल परियोजनाओं को राष्ट्रीय हितों और विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप जारी रखेगा।

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भारत को अपने पानी की एक बूंद भी छीनने नहीं देगा पाकिस्तान : शरीफ

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को कहा कि भारत को पाकिस्तान के पानी की एक बूंद भी छीनने नहीं दी जाएगी। पाकिस्तान ने बार-बार चेतावनी दी है कि पानी रोकने के लिए किसी भी हस्तक्षेप को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। प्रधानमंत्री शरीफ ने यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं आज दुश्मन को बताना चाहता हूं कि अगर आप हमारा पानी रोकने की धमकी देते हैं तो यह बात ध्यान में रखें कि आप पाकिस्तान के पानी की एक बूंद भी नहीं छीन सकते।’’ उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत ने ऐसी कोई कार्रवाई की तो “आपको फिर ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि आपको पछताना पड़ेगा।”

 

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