सूरत- शनिवार को गुजरात में भी रक्षाबंधन मनाया जा रहा है लेकिन वलसाड के एक परिवार में रक्षाबंधन कुछ अलग ही तरीके से मनाया गया। इस अद्भुत रक्षा बंधन को जिसने भी देखा आंखों में पानी आ गए। अगर आप भी पूरी खबर पढ़ेंगे और जब सच्चाई आपको पता चलेगी तो आप भी भावुक हो सकते हैं। दरअसल वलसाड में एक भाई को उसकी बहन के हाथों ने तो राखी बांधी लेकिन वह बहन आज भाई के बीच में नहीं है। बहन की मौत सितंबर 2024 में ही हो गई थी।

रक्षाबंधन 2025ः पीएम मोदी-सीएम योगी समेत कई नेताओं ने दी बधाई, राष्ट्रपति मुर्मु ने शुभकामना संदेश में कही ये बात

अनमता अहमद ने शिवम के हाथों में बांधी राखी

 यह कहानी, वलसाड की नन्ही बालिका रिया और उसके ब्रेन डेड शरीर के अंगों के दान से प्रज्वलित हुई जीवन-दान की ज्योति के बारे में है। जी हां, नन्ही सी परी, रिया के हाथ, मुंबई की 15 वर्षीय अनमता अहमद में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किए गए थे। दो साल पहले, बिजली का झटका लगने से अनमता का एक हाथ काटना पड़ा था। गोरेगांव में रहने वाली और 11वीं कक्षा की छात्रा अनमता को इस वजह से कई मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। लेकिन, रिया का हाथ मिलने के बाद अनमता के जीवन का यह अंधेरा दूर हो गया।

रिया के भाई को राखी बांधने वलसाड पहुंची अनमता अहमद 

इस वर्ष रक्षाबंधन के पर्व पर वो किशोरी, अनमता अहमद, रिया के भाई शिवम की कलाई पर रिया से मिले हाथ से राखी बांधने वलसाड चली आई। इस दौरान, बहुत भावपूर्ण माहौल बन गया था। शिवम ने जब अनमता के हाथों से राखी बंधवाई तब उसे यह एहसास हो रहा था कि जैसे वह अपनी प्यारी बहन रिया से ही राखी बंधवा रहा है।

यह वाक्या, हकीकत में, किसी चमत्कार से कम नहीं..। यह अद्भुत है। हो भी क्यों न अल्लाह और ईश्वर को मानने वाले भाई-बहन का प्यार हर किसी के लिए एक मिशाल है। यहां मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है, और न हीमानवता की कोई सीमा होती।

कॉमेडियन कपिल शर्मा को मिली धमकी: ‘सीधे छाती पे चलेगी AK-47’, हरि बॉक्सर का नाम आया सामने

रक्षाबंधन पर भावुक कर देने वाला था माहौल

यह गजब संजोग तो देखिए। वलसाड की एक स्कूल में दसवीं कक्षा के विद्यार्थी शिवम को, ऐसा एहसास हो रहा था जैसे कि वो अपनी प्यारी छोटी बहन का हाथ एक बार फिर स्पर्श कर रहा है। रिया के माता-पिता भी अपनी ही बेटी का हाथ अपने हाथों में लिया हो, ऐसा ही अनुभव प्रतीत कर रहे थे। मानों वह अपनी नन्ही रिया से आमने-सामने मिल रहे हों। उन्होंने अनमता को गले लगाया और उसे बहुत प्यार किया।

कल्पना कीजिए, उन पलों का अनुभव कैसा रहा होगा.. एक ओर थी हृदय विदारक कठोरता और दूसरी ओर रिया के अंगदान से उपजी प्राणशक्ति। इसीलिए इस रक्षाबंधन पर छोटी बच्ची रिया के हाथ के अंगदान ने वास्तव में अल्लाह और ईश्वर की दिव्यता का एहसास कराया।

उपराष्ट्रपति पद पर पीएम मोदी-जेपी नड्डा करेंगे फैसला, NDA बैठक के बाद रिजिजू का बया

रिया को किया गया था ब्रेन डेड घोषित 

 रिया की बात करें तो, वह तीथल रोड पर स्थित सरदार हाइट्स में नर्मदा 307 में रहने वाले तृष्णा और बॉबी मिस्त्री की यह बेटी, पारडी के वल्लभ आश्रम स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती थी। परी जैसी बेटी के लिए वह दिन अशुभ था। तारीख थी 13 सितंबर 2024 और समय था शाम के 5 बजे। रिया को उल्टियां होने लगी थीं… फिर, उसे असहनीय सिरदर्द होने लगा। कई अस्पतालों में इलाज के बाद 15 तारीख को उसे सूरत के किरण अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सीटी स्कैन से पता चला कि, रक्तस्राव के कारण वह ब्रेन डेड हो चुकी थी। 16 तारीख को डॉक्टरों के एक पैनल ने रिया को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इससे सिर्फ़ रिया के माता-पिता और भाई ही नहीं, बल्कि उसके इलाज में शामिल सारा स्टाफ़ भी स्तब्ध रह गया। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि, एक फूल जैसी बेटी अचानक इस तरह मुरझा जाएगी..?।

ट्रंप संग टकराव के बीच पुतिन से PM मोदी की फोन पर बातचीत, क्या रहा चर्चा का केंद्र?

परिजनों ने किया था अंगदान

रिया का मृत शरीर कई लोगों के जीवन में नए रंग भरने में सक्षम था। और इस बात को रिया की पालक माता और वलसाड की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उषाबेन मैशरी भी समझती थी। डॉ. उषाबेन मैशरी ने तथा डोनेटलाइफ के संस्थापक निलेशभाई मांडलेवाला ने रिया के माता-पिता को यह बात समझाई और उन्हें रिया के अंगदान के लिए प्रेरित किया। ब्रेन डेड बेटी रिया की किडनी, लिवर, फेफड़े, आंखें, छोटी आंत और दोनों हाथ दान कर दिए गए।

मरने के बाद भी रिया ने कई लोगों को दी नई जिंदगी

इन अंगों को ज़रूरतमंदों तक समय पर पहुंचाने की सभी तकनीकी प्रक्रियाएं, डोनेटलाइफ के अथक प्रयासों से संपन्न की गईं। वो गणेश विसर्जन का दिन था, मानो बप्पा ने रिया की पवित्र आत्मा को अपने में समाहित कर लिया हो और उसके दान किए गए अंगों से अन्यों के जीवन को नई रोशनी से भर दिया।

एक नन्ही परी, कितने लोगों को नया जीवन दे गई…नवसारी के एक 13 साल के लड़के को रिया की एक किडनी से नई ज़िंदगी मिली। अहमदाबाद में एक और किडनी और लिवर किसी को नई ज़िंदगी देने के लिए पहुंचे। इसी तरह रिया के फेफड़ों ने तमिलनाडु की एक 13 साल की बच्ची में नई जान भरी। हैदराबाद के एक अस्पताल में रिया के फेफड़ों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया।

रिया के हाथों से अनमता ने बांधी उसके भाई को राखी

अब बात बेटी रिया के हाथ की। किसी के कटे हुए हाथ में अन्य किसी का हाथ ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया सबसे जटिल होती है, लेकिन मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल के डॉ. नीलेश सातभाई और उनकी टीम, वलसाड की रिया के हाथ को मुंबई की अनमता अहमद के कटे हुए हाथ में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट करने में कामयाब रही।

मां के इलाज के दौरान बेटे ने अस्पताल से लगाई छलांग, मौके पर मची अफरा-तफरी

Share.

Contact Us

Office Address – Plot no .225 Narmada Complex, Sada Colony, Jamnipali, Korba, Chhattisgarh

Mobile Number – 9755065000
Email : bharattimes24k@gmail.com

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  

© 2025 bharattimes24.com. All Rights Reserved. Made By Nimble Technology

Exit mobile version