मॉस्को: भारत और रूस की दोस्ती अब अंतरिक्ष में फिर एक नया इतिहास लिखने जा रही है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस मिलकर अब वृहद अंतरिक्ष कार्यक्रमों को अंजाम देने जा रहे हैं। भारत और रूस की ये टॉप अंतरिक्ष एजेंसियां अब पूरी दुनिया के लिए नई चुनौती पेश करने वाली हैं।

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भारत ने रूस को दिया खुला ऑफर

भारत ने इस दिशा में दिलचस्पी लेते हुए रूसी कंपनियों को देश में नवोन्मेषी अंतरिक्ष परियोजनाओं में निवेश करने और भारत के विशाल बाजार का लाभ उठाने के लिए सीधे आमंत्रित किया है। यह जानकारी रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने दी। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय दूतावास में आयोजित एक समारोह में राजदूत ने बताया कि भारत सरकार ने अंतरिक्ष उद्योग में एक अनुकूल और सहयोगी माहौल तैयार करने के लिए कई आकर्षक योजनाएं और नीतियां पेश की हैं।

दशकों से अंतरिक्ष में भारत और रूस की दोस्ती

राजदूत विनय कुमार ने कहा कि भारत और रूस के बीच दशकों से अंतरिक्ष क्षेत्र में गहरा सहयोग रहा है। उन्होंने इस सहयोग के प्रमुख क्षणों का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्ष 1975 में भारत ने सोवियत रूस के सहयोग से अपना पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ लॉन्च किया था। इसके बाद 1984 में सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान के जरिए भारतीय पायलट राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा की, जो उस समय एक महान उपलब्धि थी। वर्तमान में दोनों देशों के बीच गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर भी सहयोग जारी है।

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इसरो और रोस्कोस्मोस का दुनिया पर दबदबा

इस कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मिलकर काम कर रही रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के अधिकारी और विशेषज्ञ भी शामिल हुए। उन्होंने इस साझेदारी की अहमियत और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की। राजदूत ने यह भी बताया कि भले ही अंतरिक्ष उद्योग एक आधुनिक व्यावसायिक क्षेत्र है, लेकिन भारतीय सभ्यता में अंतरिक्ष से जुड़ी परंपराएं और ज्ञान वैदिक काल से ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि आर्यभट्ट जैसे प्राचीन विद्वानों ने खगोलीय पिंडों की गति और उनके मानव जीवन पर प्रभावों का गहराई से अध्ययन किया। विनय कुमार ने बताया कि आज अंतरिक्ष तकनीक संचार, नौवहन, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, और दैनिक जीवन के कई अन्य क्षेत्रों में हमारी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने न केवल देश की तकनीकी उन्नति में योगदान दिया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी पहचान बनाई है।

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अंतरिक्ष विषय पर हुए कार्यक्रम

भारतीय दूतावास के नेतृत्व में इस दौरान केंद्रीय विद्यालय के छात्रों और जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र के सदस्यों ने अंतरिक्ष विषय पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इन कार्यक्रमों में छात्र-छात्राओं ने अंतरिक्ष से जुड़ी कविताएं, नृत्य और नाटक प्रस्तुत कर इस क्षेत्र की महत्ता और जटिलता को दर्शाया। समारोह का उद्देश्य न केवल भारत-रूस के बीच अंतरिक्ष सहयोग को याद करना था, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के प्रति जागरूक करना था। राजदूत विनय कुमार ने अंत में कहा कि भारत और रूस का यह सहयोग केवल तकनीकी सहयोग नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक साझेदारी है जो दोनों देशों के विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में मदद कर रही है।

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