नई दिल्ली : देश के 15वें उपराष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हुआ और एनडीए के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन भारत के नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को हार मिली है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। इस चुनाव के लिए कुल 788 मतदाता थे, जिनमें से सात सीटें खाली थीं, इसलिए 781 वोट पड़ने थे। वोटिंग के बाद मतदान प्रतिशत 98.2% रहा, जिसमें कुल 767 वोट डाले गए और 752 वोट मान्य थे यानी 16 वोट अवैध पाए गए। सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी और विपक्षी उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले।

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विपक्षी उम्मीदवार को मिली हार, क्या थी वजह, 10 प्वाइंट्स में जानिए 

  1. सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का मंगलवार को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके लिए संख्याएं पहले से ही पर्याप्त थीं। लेकिन इस चुनाव से ऐसे कुछ महत्वपूर्ण संकेत मिलते हैं जो आगे के लिए बहुत कुछ कहते हैं। 
  2. विपक्षी दलों से मिले 14 वोट एनडीए के लिए बड़ी कामयाबी साबित हुए, क्योंकि 15 वोट अमान्य हो गए और 14 वोट विपक्षी दलों से एनडीए को मिलने से विपक्ष को बड़ा झटका लगा।
  3. एनडीए को कुछ क्रॉस वोटिंग का लाभ भी मिला, बता दें कि एनडीए की कुल संख्या 427 थी, इसमें वायएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों वोट देने से कुल संख्या 438 हो गई और इसके अलावा, 14 अतिरिक्त वोट क्रॉस वोटिंग के जरिए सीपी राधाकृष्णन के खाते में गए, जिससे विपक्ष को हार मिली।
  4. विपक्ष ने अपनी एकजुटता दिखाने के लिए ही दक्षिण भारत के सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा, ताकि मतदान प्रक्रिया में एकजुटता का संदेश जाए। लेकिन एनडीए ने अपनी रणनीति के तहत क्रॉस वोटिंग के जरिए विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाई और 452 वोट हासिल कर लिए।
  5. सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट करने की अपील की थी। यही कारण रहा कि कुछ क्रॉस वोटिंग हुई और एनडीए को फायदा मिला।
  6. इस चुनाव में 15 वोट अमान्य पाए गए, यानी कुल वोटों का लगभग 2 फीसदी हिस्सा. यह बताता है कि सांसदों को मतदान प्रक्रिया में गलती करने या जानबूझकर इनवैलिड वोट देने की संभावना रही।
  7. एनडीए ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान तमिलनाडु के कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रहे 68 वर्षीय राधाकृष्णन को एक अनुभवी और बेदाग़ नेता के रूप में पेश किया गया था, गौंडर-कोंगु वेल्लालर ओबीसी समुदाय से आते हैं।
  8. दोनों उम्मीदवारों ने जीत का विश्वास व्यक्त किया था। एक तरफ न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि वह “लोगों की अंतरात्मा को जगाने का प्रयास कर रहे हैं”, जबकि राधाकृष्णन ने इस मुकाबले को “भारतीय राष्ट्रवाद” और “विकसित भारत” के दृष्टिकोण की जीत बताया।
  9. कांग्रेस ने इंडी गठबंधन के 315 सांसदों के वोट का दावा किया था, हालांकि गठबंधन के प्रत्याशी को 15 वोट कम मिले। बीआएस और बीजेडी ने चुनाव में भाग नहीं लिया, जबकि राज्यसभा में बीआरएस के 4 और बीजेडी के 7 सांसद हैं। लोकसभा में इकलौते सांसद वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी पंजाब में बाढ़ के चलते वोट डालने से इनकार कर दिया था।
  10. भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास पर्याप्त संख्याबल था, इसलिए महाराष्ट्र के राज्यपाल को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के पद पर जीतना कोई बड़ी बात कम और एक प्रतीकात्मक मुकाबला ज़्यादा था। इससे इतर, दोनों गठबंधनों ने अपने सांसदों को चुनाव में वोट डालने की ट्रेनिंग दी थी फिर भी कई वोट अमान्य हो गए।
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