काठमांडू: नेपाल में युवा-प्रेरित Gen-Z के विरोध प्रदर्शनों ने देश को हिला कर रख दिया है। प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरकर कई सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों को तहस-नहस कर डाला। इन प्रदर्शनों में मुख्य रूप से जेन-जेड युवाओं की भागीदारी रही, जो सरकार की नीतियों से निराश थे।  8 सितंबर से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गया। इसके बाद तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा का दौर शुरू हो गया। अब तक 35 से ज्यादा लोगों की आंदोलन की वजह से मौत हो चुकी है। आइये आपको बताते हैं कि इस आंदोलन ने नेपाल की किन-किन प्रमुख सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुंचाया है।

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प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा, और सेना को तैनात किया गया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री आवास और ऐतिहासिक सिंह दरबार पैलेस को आग के हवाले कर दिया, जिससे देश की सांस्कृतिक धरोहर को अपूर्णीय क्षति पहुंची है।

1. सिंह दरबार, काठमांडू

प्रदर्शनकारियों ने मुख्य रूप से सिंह दरबार पैलेस में आग लगा दी। यह नेपाल की प्रशासनिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। इस पैलेस को आग लगाकर पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। इसी दरबार में संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय समेत और कई मंत्रालय स्थित थे। सिंह दरबार पैलेस का इतिहास नेपाल के राणा शासन काल से जुड़ा है। इसे जून 1908 में चंद्र शमशेर जंग बहादुर राणा ने बनवाया था, जो उस समय एशिया का सबसे बड़ा पैलेस था। इसमें 1700 से अधिक कमरे हैं। तब इसकी लागत 5 मिलियन नेपाली रुपये थी। नव-क्लासिकल शैली में निर्मित यह पैलेस राणा परिवार की शक्ति का प्रतीक था, जहां से नेपाल का प्रशासन चलता था। 1973 में एक आगजनी में इसका अधिकांश भाग क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन पश्चिमी हिस्से को बहाल किया गया। आज यह सरकारी कार्यालयों, संसद और मंत्रालयों का केंद्र है, जो नेपाल की राजनीतिक इतिहास की गवाही देता है। प्रदर्शनकारियों द्वारा इसे नष्ट करने से देश की सांस्कृतिक पहचान को गहरा आघात लगा है, क्योंकि इसमें अनमोल ऐतिहासिक दस्तावेज संग्रहीत थे।

2. नेपाल का संसद भवन

प्रदर्शनकारियों ने हिंसक आंदोलन के दौरान सिंह दरबार परिसर में स्थित संसद भवन को भी आग के हवाले कर दिया। यह संघीय संसद भवन नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक है। यह 1959 में स्थापित हुआ था। इसके बाद से ही नेपाल में संसदीय प्रणाली शुरू हुई। प्रदर्शनकारियों ने इसे तोड़कर भ्रष्टाचार विरोधी ग्रैफिटी बनाई।

3. सुप्रीम कोर्ट

आंदोलनकारियों ने चुन-चुन कर सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों को निशाना बनाया। इसमें नेपाल का सुप्रीम कोर्ट भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट की इमारत को 1956 में बनाया गया था। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करती है। विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस परिसर को आग के हवाले कर दिया। अनेक कानूनी दस्तावेज, रिकॉर्ड्स और महत्वपूर्ण न्यायिक कक्षों में नुकसान हुआ।

4. नेपाली कांग्रेस का मुख्यालय

विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस के मुख्यालय में भी जमकर उत्पात मचाया और भयानक आगजनी की। नेपाली कांग्रेस मुख्यालय 1940 के दशक से जुड़ा है, जब पार्टी की स्थापना हुई और यह स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रही। इन इमारतों के विनाश से नेपाल के इतिहास को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है।  इन हमलों से 1.4 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है, जिसमें ऐतिहासिक दस्तावेज और रिकॉर्ड शामिल हैं।

5. राष्‍ट्रपति भवन (शीतल निवास), महाराजगंज , काठमांडू

यह नेपाल के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है। प्रदर्शनकारियों ने इस भवन को भी निशाना बनाया और आग लगा दी। राष्ट्रपति भवन में तोड़फोड़ को भी अंजाम दिया। इसके अलावा यहां से महत्वपूर्ण सामान, कुर्सियां, सोफे समेत अन्य वस्तुएं उठा ले गए। राष्ट्रपति भवन को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शमशेर राणा ने 1924 में बनवाया था। बाद में इसका नाम शीतल निवास हो गया। 1948 में पूर्व पीएम चंद्र शमशेर के बेटे कृष्ण शमशेर ने इसे राजनीतिक दबाव में आकर सरकार को सौंप दिया था।

6. अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र

आंदोलनकारियों ने इस इमारत में भी आगजनी व तोड़फोड़ की। इसे नेपाल इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर व बीरेंद्र इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के नाम से भी जाना जाता था। यह काठमांडू के न्यू बानेश्वर क्षेत्र में स्थित है। इस केन्द्र की स्थापना 1993 में चीन की सहायता से की गई थी। यह बहु‑उपयोगी आधुनिक सुविधा केंद्र है, जिसमें नेपाल की फेडरल संसद की बैठकें भी होती थीं। इसकी वास्तुकला मिश्रित है। इसमें नेपाली पारंपरिक शैलियों के साथ आधुनिक डिज़ाइन का मेल है।

7. लक्ज़री होटल और राजनीतिक नेताओं के आवास

प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के दौरान नेपाल के कई बड़े लक्जरी होटलों को भी निशाना बनाया। इनमें नेपाल का मुख्य हिल्टन होटल शामिल है। काठमांडू स्थित यह पांच सितारा होटल राजधानी में प्रगति और वैश्विक निवेश का प्रतीक माना जाता था। मगर इसे भी आग के हवाले कर दिया गया। इसके अलावा हयात रीजेंसी को भी तहस-नहस किया गया। बौद्ध क्षेत्र के पास होने के चलते यह पर्यटन और धर्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण होटलों में था।

8. प्रधानमंत्री आवास

विरोध प्रदर्शन के दौरान जेन-जी के आंदोलनकारियों ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास में भी आग लगा दी। इसके अलाव पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का भी घर फूंक दिया। प्रधानमंत्री का आवास काठमांडू के बालुवाटार में स्थित है।

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