आगरा: में थाना सिकंदरा क्षेत्र के गांव नगला नाथू में मंगलवार की सुबह दर्दनाक हादसा हुआ। यमुना किनारे बसे गांव की रहने वालीं तीन सगी बहनें अपनी हमउम्र मौसी, मौसेरी बहन और चचेरे भाई-बहनों के साथ नहाने गई थीं।

गहरे पानी में छह किशोरियां डूब गईं। चचेरे भाई ने शोर मचाया। खेतों में काम कर रहे ग्रामीण मौके पर पहुंचे और आधा घंटे की मशक्कत के बाद सभी को बाहर निकाला। पुलिस की एक जीप से 4 किशोरियों को एसएन इमरजेंसी ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उनको मृत घोषित कर दिया। दो की सांसें चल रही थीं। उनको पुलिस की दूसरी जीप से निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां दो घंटे बाद उनकी भी मौत हो गई। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजन को 4-4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।

यमुना में अक्सर सेल्फी, रील बनाती थीं किशोरियां

यमुना में हादसे से एक दिन पहले मुस्कान ने अपनी मौसेरी बहन और मौसी के साथ नदी में उछलकूद करते हुए रील बनाईं थीं। सेल्फी भी ली गई थीं। हादसे के बाद यमुना नदी में रील का एक वीडियो भी सामने आया है। दीपेश ने बताया कि बहनें अकसर नदी में मौज मस्ती करते हुए वीडियो बना लेती थीं। यमुनापार से मौसी, मौसेरी बहन के आने के बाद सोमवार को भी यमुना में नहाने पहुंची थीं। तब कई रील बनाई थीं। मंगलवार को भी किशोरियां अपने साथ मोबाइल ले गई थीं। परिजन यह नहीं बता सके कि मंगलवार को हादसे से पहले भी रील बनाई थीं या नहीं।

लखनऊ से घनघनाए फोन, दौड़े अफसर

यमुना नदी में छह बच्चियों के डूबने की घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री सचिवालय से फोन घनघनाने लगे। लखनऊ से घटना की जानकारी ली गई। जिलाधिकारी अरविंद मलल्प्पा बंगारी, एडिशनल सीपी राम बदन सिंह, नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल के साथ ही कई थानों का फोर्स घटनास्थल पर पहुंच गया था। तहसील का स्टाफ भी मौके पर पहुंच गया।

पोस्टमार्टम के लिए परिजन को मनाया

हादसे में 6 बच्चियों की मौत के बाद परिजन पोस्टमार्टम कराने को तैयार नहीं थे। परिजन का कहना था कि वह अब कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते हैं। इस पर नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल ने मृतकों के दादा और अन्य परिजन को समझाया कि पोस्टमार्टम नहीं होगा तो मुआवजे में भी दिक्कत आएगी। वह काफी देर तक परिजन को ढांढस बंधाकर समझाते रहे। कहा कि अन्य बच्चों की अच्छी परवरिश के बारे में सोचो। उन्हें भी आपको ही देखना है। इसके बाद ही पोस्टमार्टम को तैयार हुए।


गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं

बिचपुरी ब्लॉक के गांव नगला नाथू यमुना किनारे बसा हुआ है। इस छोटे से गांव तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क तक नहीं है। रामलाल वृद्धाश्रम के निकट से ऊबड़-खाबड़ कच्चा रास्ता गांव तक पहुंचता है। मंगलवार की सुबह यमुना नदी में तीन सगी बहनों सहित छह बच्चियों के डूबने के बाद ग्रामीणों ने उन्हें निकालने में बहुत देर नहीं लगाई। बच्चियों को बाहर लाए तो तीन की सांसें चल रही थीं। उन्हें सीपीआर दी गई। पेट दबाकर पानी निकाला, लेकिन एंबुलेंस दो घंटे बाद गांव के बाहर तक ही पहुंच सकी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय से इलाज मिलता तो शायद कुछ बच्चियों की जान बचाई जा सकती थी।


यमुना किनारे बसे गांव की सिकंदरा थाने से दूरी करीब 6 किलोमीटर है। लेकिन गांव तक जाने का रास्ता कच्चा और ऊबड़ खाबड़ है। दोनों ओर कंटीली झाड़ियों के कारण संकरा भी है। ऐसे में सुबह हादसे के बाद ग्रामीणों ने करीब 30 मिनट के भीतर ही बच्चियों को बाहर निकाल लिया था। बच्चू सिंह ने बताया कि ज्यादातर लोग तैरना जानते हैं। ऐसे में बच्चियों को निकालने के लिए गांव के युवाओं के साथ अन्य लोग भी पहुंच गए थे। मुस्कान बाहर निकलने के बाद उल्टी कर रही थी। सोनम और शिवानी की सांसें भी चल रही थीं। ताराचंद ने बताया कि पुलिस वाले पहले मुस्कान, नैना को लेकर अस्पताल पहुंचे। निजी अस्पताल में उन्हें दिखाया मगर तब तक उनकी सांसें टूट चुकी थीं। एंबुलेंस साढ़े 12 बजे गांव के बाहर तक ही आ सकी। वहां से भी घटनास्थल एक किमी दूर था।

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डालचंद ने बताया कि घटना पर अधिकारी तो आ गए लेकिन एंबुलेंस आ जाती तो शायद दो से तीन बच्चियां बचाई जा सकती थीं। गांव के रामदयाल ने बच्चियों को सीपीआर देकर सांसें लौटाने की कोशिश की। करीब दो घंटे तक बच्चियों इलाज के अभाव में रहीं। इस दौरान इलाज मिल जाता तो इतने घरों में मातम नहीं पसरा होता। हादसे में मृत नैना के छोटे भाई देव ने बताया कि पूरा गांव ही यमुना किनारे पहुंच गया था। जीजी को डॉक्टर के पास ले जाने में देरी हो गई।

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